कानून किसके लिए है,कानून के दायरे में कौन आते हैं,क्या कानून सिर्फ गरीब और आम लोगों के लिए है। कानून के रखवालों के सामने ही जब इसे तोड़ा जाए तो कानून पर कौन भरोसा करेगा? कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को रायपुर केन्द्रीय जेल में देखने को मिला। जहां एक नेता और एक आम महिला ने एक ही जुर्म किया लेकिन सजा केवल महिला को दी गई। महिला को जहां गिरफ्तार किया गया वही दूसरी ओर एक नेता को उसके ओहदे के कारण जेल प्रशासन ने बख्स दिया क्योंकि वे जनप्रतिनिधि जो ठहरे।
हुआ यूं कि बुधवार को जेल प्रहरियों के प्रशिक्षण के समापन समारोह में पहुँचे नगरनिगम के सभापति संजय श्रीवास्तव जेल के भीतर खुलेआम मोबाइल पर बात करते नजर आए। जबकि जेल में मोबाइल पर बात करना प्रतिबंधित है। लेकिन नेताजी जेल महानिदेशक और जेल अधिकारियों के सामने आराम से बात करते हुए चल रहे थे और जेल प्रशासन मूक होकर सब देख रहा था। जेल परिसर में ही अनिता राजपूत नामक एक महिला को उसके मोबाइल पर जेल के अंदर से फोन आने पर गिरफ्तार कर लिया गया। उस महिला का पति रायपुर केन्द्रीय जेल में बंद है। महिला के इस गुस्ताखी के लिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ प्रतिबांधत्मक कारर्वाई की जा रही है। लेकिन नेताजी को जेल के अंदर बात करने पर किसी ने न रोका न टोका और न ही कोई कारर्वाई की। जबकि जेल के अंदर जो भी शख्स जाता है,उसके मोबाइल मेन गेट पर भी जमा करवा लिए जाते हैं पर नेताजी का मोबाइल जमा कराने की हिम्मत कौन करता। बहरहाल इस पूरे मामले के बाद केन्द्रीय जेल की सरक्षा व्यवस्था से जुड़े कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। लाखों खर्च कर जेल के अंदर लगाए गए जैमर के बावजूद परिसर के बाहर व भीतर मोबाइल काम कर रहा है। आम आदमी के लिए कानून तोड़ना अपराध है पर किसी पहुंच और सफेदपोश नेता के लिए कोई कानून नही है। टीआई,देवेन्द्रनगर संध्या द्विवेदी ने बताया कि जेल प्रशासन की शिकायत पर अनिता राजपूत को गिरफ्तार किया है और उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कारर्वाई की गई है।
जेल का जैमर फेल
केंद्रीय जेल के कैदियों के पास से लगातार मोबाइल मिलने की घटना को देखते हुए जेल प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च कर जैमर लगाया था जो फेल हो गया। आज जेल के भीतर नेता के मोबाइल पर बात करने और महिला के मोबाइल फोन की घंटी बजने की घटना ने जैमर व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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