सतीश पांडेय
रायपुर शहर में पंजाब के आतंकवादी का पकड़ा जाना और नक्सलियों का राजधानी तक नेटवर्क होना साबित कर रहा है कि यहां रहने वाले लोग सुरक्षित नहीं हैं। यह शहर या प्रदेश अपराधियों के लिए पनाहगाह है। कारण, न यहां के लोग जागरूक हैं और न पुलिस की नजरें चौकन्नी हैं। जानकार यहां की सुरक्षा व्यवस्था में कई छेद बता रहे हैं।
नक्सल समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। आए दिन चोरी, बैंक डकैती, लूट से परेशान हो चुके नागरिकों को नक्सलियों के साथ अब आतंकवादी गतिविधियों का भी भय सताने लगा है। शांत और सुरक्षित ठिकाना मानकर बाहरी अपराधी यहां पनाह ले रहे हैं और इन सब से परे राज्य की पुलिस और खुफिया विभाग की नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही।
बब्बर खालसा गुट के हार्डकोर इनामी मोस्ट वांटेड आतंकवादी निर्मल सिंह उर्फ निम्मा का 15 दिनों से राजधानी में रहना कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह लंबे समय तक ग्रीस (यूनान) में रहकर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां संचालित करता रहा। फरवरी में भारत लौटने के बाद पंजाब से वह अचानक भूमिगत हो गया। पंजाब पुलिस को पिछले महीने यह जानकारी मिली कि निम्मा छत्तीसगढ़ में कहीं छिपा है। इसकी जानकारी जब राज्य की खुफिया एजेंसी को पंजाब पुलिस के जरिए मिली, तो आला अफसरों के कान खड़े हो गए। आतंकी हमलों की चेतावनी के बाद गृह मंत्रालय की सतर्कता और बढ़ते दबाव को देखते हुए आतंकवादी और उनके सहयोगी सुरक्षित पनाह की तलाश में देश के कई शहरों की ओर फैल गए। इसी क्रम में शांत और सुरक्षित समझे जाने वाले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपने एक रिश्तेदार धरम सिंह उर्फ पप्पू के घर निर्मल सिंह ने शरण ली। जानकारों का कहना है कि वह राज्य की बेपरवाह हो चुकी सुरक्षा एजेंसिया की कमजोरी का फायदा उठाकर माहभर से देवेंद्र नगर इलाके के फोकटपारा बस्ती में रह रहे निम्मा को माना एयरपोर्ट इलाके में सक्रिय देखा गया था। उसके दो तीन साथी भी यहीं पनाह लेकर रह रहे थे, जो उसके पकड़े जाने के बाद से गायब हैं। इसकी भनक खुफिया विभाग को कैसे नहीं लगी, यह सवाल आज हवा में तैर रहे हैं। निम्मा के यहां आने का मकसद क्या था? इसका खुलासा तो नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस की यह बात भी गले नहीं उतर रही कि निम्मा यहां फरारी काट रहा था।
राजधानी में रहकर संदिग्ध गतिविधियों में उसके लिप्त होने से आशंका जताई जा रही है कि किसी खतरनाक योजना को अंजाम देने के उद्देश्य से वह आया हो सकता था। पूछताछ में उसने अफसरों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं जिन्हें देश की सुरक्षा का हवाला देकर अधिकारियों ने अधिकृत रूप से बताने से इनकार किया है।
एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सालभर पहले बिहार से छत्तीसगढ़ के जशपुर के रास्ते ट्रकों में लाए जा रहे आयुध फैक्ट्रियों के रसायन व हथियार बस्तर के नक्सलियों तक पहुंचाने का खुलासा होने के बाद भी राज्य की खुफिया एजेंसी बेपरवाह रही। लोदाम बेरियर में इन ट्रकों के पकड़े जाने के बाद इसके पीछे किन लोगों का हाथ है, इसका पता आज तक नहीं लगाया जा सका और कुछ दिनों तक चली जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। हथियार से भरे कुछ ट्रकों को रायपुर के रास्ते बस्तर पहुंचाए जाने की रिपोर्ट खुफिया विभाग ने सौंपी थी। राजधानी में शहरी नक्सली नेटवर्क के खुलासे, महासंमुद, नांदगांव में पंजाब के आतंकवादियों की गिरफ्तारी के साथ राजधानी में हथियारों की बरामदगी और सिमी की गतिविधियां, बांग्लादेशी घुसपैठियों के राजधानी के आसपास होने के बावजूद खुफिया तंत्र अलर्ट नहीं है। पंजाब पुलिस की सूचना नहीं होती, तो शायद ही निम्मा कभी पकड़ में आता।
पंजाब पुलिस साथ ले गई
पंजाब पुलिस आज सुबह नियमित विमान से आतंकी निर्मल सिंह उर्फ निम्मा को अपने साथ दिल्ली ले गई। वहां से उसे सड़क मार्ग से पंजाब ले जाएगी। निम्मा के खिलाफ एसएएफ नगर पुलिस थाना पंजाब में धारा 17,18,20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम एवं विस्फोटक अधिनियम के तहत अपराध दर्ज है। दूसरे अन्य थानों में हत्या सहित कई मामले दर्ज हैं। इसके पहले निम्मा को शरण देने वाले धर्मजीत सिंह उर्फ पप्पू ने पुलिस को बताया कि निम्मा उसका मित्र है और वह उसे 15 सालों से जानता है। वह पहले भी रायपुर आ चुका है। धर्मजीत की मां महेन्दर कौर ने बताया कि निम्मा से संबंध पंजाब में रहने के कारण बने हैं। वह यहां दो बार आ चुका है। हमें नहीं पता कि वह आतंकवादी है, अन्यथा यहां नहीं रहने देते।
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