Friday, October 15, 2010
खलनायक भी नायक भी
राजनीति के मैदान में वो खलनायक भी है और नायक भी, उसके जितने दोस्त हैं उससे ज्यादा दुश्मन। अंदर तक घुसती उसकी आंखों से ढेरों को डर लगता है। वो ढेरों की आंखों में खटकता है। फिर भी वो ढेरों आंखों में बसता है। जितने दिल उससे नफरत करते हैं उससे ज्यादा के दिल में वो बसता है। जितने उसकी शक्ल से चिढ़ते हैं -उससे ज्यादा एक झलक को तरसते हैं। जितने लोग हिटलर कहते हैं उससे ज्यादा मसीहा मानते हैं। जितने चेहरे राज्य से पलायन करना चाहते हैं उससे ज्यादा बसने को लालायित रहते हैं। उसके नाम पर कट्टरवादी हिंदु चेहरे का आवरण है लेकिन उसने अपने राज्य पर तरक्की का आवरण ओढ़ा दिया है। विरोधी तानाशाह बोलते हैं, मानते हैं, ठहराते हैं और जलते हैं पर दूसरी ओर उसके कुशल प्रशासन पर ताली भी बजाते हैं, सम्मानित भी करते हैं और उसकी मिसाल भी देते हैं। शायद उस जैसा बनना भी चाहते हैं। उस पर जब भी बोल के वार होते हैं तो पलटवार की दहाड़ से सबकी बोलती बंद हो जाती है। उसे हटाने, दौड़ाने और मिटाने की अंदर-बाहर से जितनी कोशिशें होती गर्इं उतना ही उसका खूंटा मजबूत होता गया और वो विरोधियों के खूंटे उखाड़ता गया। उसे जिसने भी राज करने का पहाड़ा पढ़ाने की कोशिश की वो खुद उसकी क्लास में पाठ पढ़ते नजर आए। या राजनीति से विदा हो गए। उसे दल में जिस-जिसने भी आंख दिखाने की कोशिश की वे सब पैदल होते गए। राजनीति की आंख से ओझल होते गए। पार्टी में जो धड़ा इस नेता को किनारे लगाने की कोशिश में जुटा वो खुद किनारे बहता चला गया और वो खुद आज बीच मझधार में पार्टी की नैया का खिवैय्या है। उसे मुख्यमंत्री के लायक ना मानने वाले बोल अब असली प्रधानमंत्री का ढोल पीटने लगे हैं। उसकी हां के बिना उस राज्य में पत्ता भी नहीं हिलता। उसकी हां के बिना न तो किसी को राजधानी का टिकट मिलता न दिल्ली का। उसकी चाह के बिना जीत की राह नहीं खुलती। उसके साथ के बिना ढेरों नेताओं की नैया वैतरणी पार नहीं करती। उसकी चाल तेज है। उसका मिजाज गरम है। उसकी जुबान कड़वी है। उसे ना कहना आता है पर ना सुनना पसंद नहीं। उसकी इच्छा ही हुक्म और हुक्म की तुरंत तामील। उसे कैद रखने वाली कोई जेल भी नहीं बनी, पर जन-जन उसके पीछे है, वो जननेता है। यही उसकी ताकत है। उसे जलजले से खंडहर गुजरात, कलह से जर्जर संगठन और जमीन चाटती अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी लेकिन बेमिसाल लीडरशिप, दूरगामी सोच,मजबूत इच्छा शक्ति, शासन-प्रशासन पर मजबूत पकड़ से आज ये सूबा देश में सबसे आगे है। टाटा-बिरला-अंबानी जैसा हर उद्योगपति वहां या तो है या धंधा करना चाहता है। राग अलापने वाले चाहे जितना भी दंगे का रोना रोते रहें पर फिलहाल इस शख्सियत का राजनीति में मोल है। काम अनमोल है।
नरेंद्र दामोदर दास मोदी
0-17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाना जिले के वाडनगर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म। यहीं पर स्कूली शिक्षा। गुजरात विवि से राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री। एबीवीपी में शामिल। नव निर्माण आंदोलन का हिस्सा। बतौर परिषद प्रतिनिधि बीजेपी में। संघ के स्वयंसेवक बने। आपातकाल में छिपे रहे। 87 में बीजेपी में शामिल। संघ और बीजेपी में समन्वय का काम। मुख्य रणनीतिकार की छवि के बाद 88 में गुजरात इकाई के महासचिव। 88-95 के बीच पार्टी के दो बड़ी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन। एल के आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या रथ यात्रा और कन्याकुमारी से कश्मीर तक का मार्च। फलस्वरूप राष्ट्रीय सचिव नियुक्त। पांच राज्यों का जिम्मा। 95 में पार्टी गुजरात में दो तिहाई बुहमत से सत्ता में। तब से बीजेपी का राज। 98 में महासचिव मनोनीत। आडवाणी के चहेते। अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद हासिल। जलजले से तबाही, खस्ता हाल आर्थिक स्थिति और जर-जर संगठन के बीच लीडरशिप की परीक्षा। पूरी तरह सफल। 10 फीसदी की विकास दर हासिल। पिछले साल यह 11।5 पर सबसे ज्यादा। जनहित की तमाम योजनाएं लागू। फरवरी 2002 में गोधरा कांड के बाद राज्यव्यापी दंगा। सरकार पर कत्लेआम कराने का आरोप। सरकारी नजरिए से 1044 लोगों की हत्या। गुजरात के दामन पर काला दाग। देश-विदेश में अटल सरकार पर वार। लोजपा ने साथ छोड़ा। द्रमुक और टीडीपी की धमकी। बीजेपी ने मोदी से इस्तीफा मांगा। सदन विखंडित करने की सिफारिश। फिर से चुनाव। पार्टी 182 में से 127 सीटों पर जीती। फिर सीएम बने। दो बार वीसा देने से अमरीका का इंकार। 2007 में फिर चुनाव। फिर विरोधियों के प्रहार। सोनिया ने मौत का सौदागर कहा। बीजेपी को फिर बहुमत। लगातार तीसरी बार मोदी सीएम। सबसे ज्यादा दिन राज करने का रिकार्डÞ। मुंबई कांड के बाद फिर निशाने पर। महिला मंत्री दंगे में लिप्त। जेल में। लगातार सबसे बेहतर गर्वनेंस वाला राज्य। सर्वोत्तम सीएम का अवार्ड। ब्रिटिश सांसदों की नजर में गुजरात दुनिया को लीड करेगा। उद्योगपतियों के लिए सूबा स्वर्ग बना। टाटा की नैनो को महज दो दिन में मंजूरी समेत जमीन। एक रिकार्ड। अब सबसे धनवान सूबा।
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